हमारे बारे में

संस्था का संक्षिप्त परिचय

भगवतकृपा से सनातन मंदिर चेतना सोसायटी रजि0 की स्थापना सनातन धर्म के प्राचीन जीर्ण – शीर्ण एवं उपेक्षित मंदिरों के जीर्णोद्धार हेतु की गई है | संस्था का मूल उद्देश्य मंदिरों के माध्यम से सनातन धर्म, संस्कृति तथा मानव समाज में व्याप्त कुरीतियों एवं भ्रन्तिओं को समाप्त कर नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों की पुर्नस्थापना करना है | स. मं. चे. सो. वर्तमान समय में मंदिरों का विज्ञान, उनका महत्व एवं आवश्यकता के बारे में विषय विशेषज्ञ विद्वानों एवं संतो के द्वारा जनमानस की चेतना को जाग्रत करने का प्रयास कर रही है |

मंदिर एक सामाजिक चेतना का केंद्र है जहाँ से सांस्कृतिक पुर्नजागरण होता है | समय के प्रवाह में हमारे मंदिर में केवल कर्मकांड का स्थान बनकर रह गए जहाँ भक्त और पुजारी अपनी अनवरत इच्छाओ की पूर्ति हेतु याचना करते हैं | आदि शंकराचार्य जी ने हिन्दू पुर्नजागरण के लिए इसे फिर से प्रतिष्ठित करने का कार्य किया | मंदिरो के माध्यम से भारतीय परम्पराओ एवं ज्ञान का प्रचार प्रसार हो और बदलते समाज की आवश्यकता की पूर्ति भी इसी उद्देश्य के साथ स. मं. चे. सो. ने कुछ प्राचीन मंदिरो का जीर्णोद्धार कर उनकी महिमा को पुर्नस्थापना करने का प्रयास किया है |

इन्ही प्रयासों के अंतर्गत महान राष्ट्रीय संत जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य जी के द्वारा इस ब्रम्हावर्त क्षेत्र के पवित्र स्थान पर जीर्ण – शीर्ण हो चुके अतिप्राचीन भगवान शिव और विष्णु के मंदिरों का जीर्णोद्धार एवं मनु सतरूपा मंदिर का निर्माण उन्ही की भावना के अनुरूप एवं उनके द्वारा संरक्षित संस्था स. मं. चे. सो. द्वारा किया गया है | ब्रम्हावर्त क्षेत्र की महत्ता इसलिए और भी विलक्षण एवं अद्वितीय है की इसी क्षेत्र को सृष्टि के प्रारम्भ में भगवान ब्रम्हा जी द्वारा सृष्टि की रचना के लिए चुना गया | इसी स्थल पर उन्होंने आदिपुरुष मनु व सतरूपा को उत्पन्न किया एवं आगे सृष्टि की रचना की | महाराज मनु इसी ब्रम्हावर्त की धरती को राजधानी बनाकर समस्त पृथ्वी पर शासन करते थे | यहीं पर उन्हीं की वंश परंपरा से भक्त ध्रुव का अवतरण हुआ इसका प्रमाण आज भी यहीं पर ध्रुव टीला के रूप में पुरातत्व विभाग भारत सरकार द्वारा संरक्षित है | यह स्थान आदिकाल से अनेकानेक ऋषी मुनियों की तपस्थली रहा | त्रेता युग में भगवान राम के पुत्र लव – कुश की जन्मस्थली एवं बाल्मीकि आश्रम होने का गौरव भी ब्रम्हावर्त (बिठूर) को प्राप्त है | स्वतंत्रता संग्राम के समय यहां की महान धरा पर अनेकानेक योद्धाओं ने भारत देश को अंग्रेजी शासन से स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपने प्राणो की आहुति दी |

यहाँ यह बताना महत्वपूर्ण है की संस्था के गठन से पूर्व संस्था के उद्देश्यों के अंतर्गत विगत 5 वर्षों में उत्तर प्रदेश परिक्षेत्र में जमीनी स्तर पर प्राचीन जीर्ण – शीर्ण व उपेक्षित 10 मंदिरों का जीर्णोद्धार समाज के सहयोग से कराकर स्थानीय लोगों को मंदिर से जोड़ कर उसकी महिमा को पुर्नस्थापित किया है | वर्तमान में बिठूर (ब्रह्मावर्त) में जिस स्थान पर मनुस्मृति पर सकारात्मक व्याख्यान आयोजित हो रहा है वहाँ भी भगवान शिव और विष्णु के लगभग 250 वर्ष पुराने मंदिर खंडहर में तब्दील हो गए थे तथा सभी मूर्तियाँ असमाजिक तत्वों द्वारा चोरी कर ली गई थी का जीर्णोद्धार सम्पन्न किया है | इसी मंदिर से भगवान शिव का विग्रह तत्कालीन पुलिस बिठूर द्वारा चोरों से बरामद करने के पश्चात सामाजिक उदासीनता के कारण बिठूर थाने में तात्कालिक बिठूर थाने के स्टाफ द्वारा थानेश्वर महादेव के रूप में स्थापित कराया गया लेकिन समुचित पूजन अर्चन एवं मंदिर का रख – रखाव न हो पाने के कारन उस मंदिर के
लिए भी सनातन मंदिर चेतना सोसायटी ने यह निर्णय लिया है की थानेश्वर महादेव का नियमित पूजन – अर्चन की व्यवस्था सोसायटी द्वारा सुनिश्चित की जाएगी | इसके अतिरिक्ति बिठूर (ब्रह्मावर्त) के ऐतिहासिक एवं आध्यात्मिक महत्व को पुनः प्रतिष्ठित करने के प्रयासों के अंतर्गत माँ मंगलाकाली मंदिर का भी जीर्णोद्धार कराया गया |

बिठूर (ब्रह्मावर्त) स्थिति ध्रुव टीला भी भगवान के अनन्य भक्त ध्रुव की जन्मस्थली होने के कारण सनातन धर्म का महत्वपूर्ण केंद्र है जो की सामाजिक एवं शासनिक उपेक्षा के कारण खंडहर हो चुका है तथा काफी भाग कट कर गंगा में बह गया है | सोसायटी के अपेक्षित सहयोग के साथ प्रदेश एवं केंद्र सरकार के पुरातत्व विभाग से इस महत्वपूर्ण विरासत का जीर्णोद्धार कर भविष्य का पर्यटन एवं अध्यात्म के केंद्र के रूप में संरक्षित करने का निवेदन करती है | साथ ही साथ स. मं. चे. सो. पूरे विश्व के प्राचीन मंदिरों को इतिहासकारों, पुरातत्व विशेषज्ञों एवं वहां की सरकारों तथा स्थानीय जनता की मदद से प्रकाश में लाकर आध्यात्मिक विरासत के संरक्षण के साथ – साथ मानवीय एवं आध्यात्मिक चेतना के विकास एवं स्वस्थ पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने का सामूहिक प्रयास करने का आग्रह करती है |